लोहड़ी ज्योतिष: फसल पर्व का ब्रह्मांडीय महत्व
लोहड़ी, उत्तरी भारत का एक जीवंत और आनंदमय त्योहार, मात्र फसलों का उत्सव ही नहीं है, बल्कि इसका गहरा ब्रह्मांडीय महत्व भी है। यह पर्व, जो मकर संक्रांति से ठीक पहले आता है, ज्योतिषीय रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। अक्सर इसे सिर्फ़ एक लोक-उत्सव के रूप में देखा जाता है, लेकिन वास्तव में लोहड़ी प्रकृति, ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं और मानव जीवन के बीच एक सूक्ष्म संबंध को दर्शाता है।
फसल और नक्षत्रों का मिलन:
लोहड़ी मुख्यतः शीत ऋतु के अंत और वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। यह वह समय है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे उत्तरायण की शुरुआत भी माना जाता है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, उत्तरायण का काल सकारात्मक ऊर्जा, विकास और नई शुरुआतओं का समय होता है।
लोहड़ी की अग्नि, इस ब्रह्मांडीय बदलाव का एक प्रतीकात्मक चित्रण है। अग्नि को हिन्दू धर्म में पवित्र माना गया है और यह नकारात्मकता को दूर करने, शुद्धिकरण और नई ऊर्जा का संचार करने का प्रतीक है। लोहड़ी की रात जलाई जाने वाली विशाल अग्नि, घने अंधकार और शीत ऋतु की कठोरता को समाप्त करने का ऐलान करती है।
अग्नि और ग्रहों की ऊर्जा:
ज्योतिष में अग्नि तत्व का गहरा महत्व है। यह ऊर्जा, उत्साह और परिवर्तन का प्रतीक है। लोहड़ी की अग्नि में तिल, गुड़, मूंगफली और मक्का जैसी फसलें अर्पित की जाती हैं। ये सभी वस्तुएं, ज्योतिषीय रूप से विभिन्न ग्रहों और ऊर्जाओं से जुड़ी हुई हैं:
- तिल: शनि ग्रह से संबंधित, तिल को अग्नि में अर्पित करना शनि के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और स्थिरता लाने में सहायक माना जाता है।
- गुड़: मंगल ग्रह से संबंधित, गुड़ ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक है। इसे अग्नि में अर्पित करना सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
- मूंगफली और मक्का: ये अनाज पृथ्वी तत्व से जुड़े हैं और समृद्धि, प्रचुरता और भौतिक सुखों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इन वस्तुओं को अग्नि में अर्पित करने का अर्थ है कि हम ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं को धन्यवाद दे रहे हैं और उनसे आशीर्वाद मांग रहे हैं ताकि आने वाला समय समृद्ध और खुशहाल हो। अग्नि में आहूति देना, वास्तव में ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं के साथ तालमेल बिठाने का एक ज्योतिषीय कर्मकांड है।
लोहड़ी : एक ज्योतिषीय दृष्टिकोण से शुभ मुहूर्त:
लोहड़ी का समय, ज्योतिषीय दृष्टि से अनेक कारणों से शुभ माना जाता है:
- उत्तरायण का आरंभ: सूर्य का उत्तरायण में प्रवेश, नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार करता है। यह समय नए कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
- शुभ ग्रहों का प्रभाव: इस दौरान कई शुभ ग्रहों का प्रभाव प्रबल होता है, जिससे यह समय शुभ कार्यों, पूजा-पाठ और नए संकल्पों के लिए अनुकूल होता है।
- नकारात्मक ऊर्जा का क्षरण: शीत ऋतु के अंधकार और नकारात्मकता का प्रभाव कम होने लगता है, जिससे वातावरण अधिक सकारात्मक और ऊर्जावान बनता है।
इसलिए, लोहड़ी को केवल एक फसल पर्व नहीं बल्कि ज्योतिषीय रूप से भी एक महत्वपूर्ण समय माना जाता है। यह आत्मनिरीक्षण, कृतज्ञता व्यक्त करने और आने वाले समय के लिए सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर है।
लोहड़ी की रस्में और ज्योतिषीय संकेत:
लोहड़ी से जुड़ी कई रस्में ज्योतिषीय संकेतों से भरी हुई हैं:
- अग्नि परिक्रमा: अग्नि के चारों ओर परिक्रमा करना, ग्रहों की परिक्रमा और ब्रह्मांडीय चक्र का प्रतीक है। यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने और नकारात्मकता को दूर करने का एक तरीका है।
- लोक गीत और नृत्य: लोहड़ी के गीत और नृत्य उत्साह, खुशी और सामुदायिक भावना का प्रतीक हैं। यह सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने और वातावरण को आनंदमय बनाने में मदद करता है।
- रेवड़ी, गजक और मूंगफली का सेवन: इन वस्तुओं का सेवन शरीर को गर्मी प्रदान करता है और ऊर्जा स्तर को बढ़ाता है। ज्योतिषीय रूप से, ये वस्तुएं विभिन्न ग्रहों से जुड़ी हैं जो इस समय विशेष रूप से सक्रिय होती हैं।
निष्कर्ष:
लोहड़ी, वास्तव में भारतीय संस्कृति का एक अनमोल रत्न है। यह सिर्फ़ एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रकृति, नक्षत्रों और मानव जीवन के बीच गहरा संबंध स्थापित करने का उत्सव है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी लोहड़ी का गहरा महत्व है। यह समय न केवल फसल के उत्सव का है, बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं के साथ जुड़ने, नकारात्मकता को दूर करने और सकारात्मकता को आकर्षित करने का भी है। इस लोहड़ी, आइए हम इसके ज्योतिषीय महत्व को भी समझें और इस पर्व को और भी गहराई और श्रद्धा के साथ मनाएं, प्रकृति और ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें और आने वाले वर्ष के लिए समृद्धि और खुशहाली की कामना करें।