Ashtavakra Gita | अष्टावक्र गीता – Eighth Chapter | अष्टम अध्याय

अष्टावक्र गीता(मूल संस्कृत) अष्टावक्र गीता (हिंदी भावानुवाद) Ashtavakra Gita (English) अष्टावक्र उवाच –तदा बन्धो यदा चित्तंकिन्चिद् वांछति शोचति।किंचिन् मुंचति गृण्हातिकिंचिद् हृ ष्यति कुप्यति॥८-१॥ श्री अष्टावक्र कहते हैं – तब बंधन...

Ashtavakra Gita | अष्टावक्र गीता – Seventh Chapter | सप्तम अध्याय

अष्टावक्र गीता(मूल संस्कृत) अष्टावक्र गीता (हिंदी भावानुवाद) Ashtavakra Gita (English) जनक उवाच – मय्यनंतमहांभोधौविश्वपोत इतस्ततः।भ्रमति स्वांतवातेन नममास्त्यसहिष्णुता॥७- १॥ राजा जनक कहते हैं – मुझ अनंत महासागर में विश्व रूपी जहाज...

Ashtavakra Gita | अष्टावक्र गीता – Sixth chapter | षष्ठ अध्याय

अष्टावक्र गीता(मूल संस्कृत) अष्टावक्र गीता (हिंदी भावानुवाद) Ashtavakra Gita (English) अष्टावक्र उवाच –आकाशवदनन्तोऽहंघटवत् प्राकृतं जगत्।इति ज्ञानं तथैतस्यन त्यागो न ग्रहो लयः॥६- १॥ अष्टावक्र कहते हैं – आकाश के समान मैं...

Ashtavakra Gita | अष्टावक्र गीता – Fifth Chapter | पंचम अध्याय

अष्टावक्र गीता(मूल संस्कृत) अष्टावक्र गीता (हिंदी भावानुवाद) Ashtavakra Gita (English) अष्टावक्र उवाच –न ते संगोऽस्ति केनापिकिं शुद्धस्त्यक्तुमिच्छसि।संघातविलयं कुर्वन्-नेवमेव लयं व्रज॥५- १॥ अष्टावक्र कहते हैं – तुम्हारा किसी से भी संयोग...

Ashtavakra Gita | अष्टावक्र गीता – Fourth Chapter | चतुर्थ अध्याय

अष्टावक्र गीता(मूल संस्कृत) अष्टावक्र गीता (हिंदी भावानुवाद) Ashtavakra Gita (English) अष्टावक्र उवाच – हन्तात्म ज्ञस्य धीरस्यखेलतो भोगलीलया।न हि संसारवाहीकै-र्मूढैः सह समानता॥४- १॥ अष्टावक्र कहते हैं – स्वयं को जानने वाला...

Ashtavakra Gita | अष्टावक्र गीता – Third Chapter | तृतीय अध्याय

Ashtavakra Gita – Third Chapter Translation in English अष्टावक्र गीता – तृतीय अध्याय का हिंदी में अनुवाद अष्टावक्र गीता का तीसरा अध्याय निम्नलिखित है: अष्टावक्र गीता(मूल संस्कृत) अष्टावक्र गीता (हिंदी...

Ashtavakra Gita | अष्टावक्र गीता – Second Chapter | द्वितीय अध्याय

अष्टावक्र गीता(मूल संस्कृत) अष्टावक्र गीता (हिंदी भावानुवाद) Ashtavakra Gita (English) जनक उवाच –अहो निरंजनः शान्तोबोधो ऽ हं प्रकृतेः परः ।एतावंतमहं कालंमोहेनैव विडम्बितः ॥ २-१ ॥ राजा जनक कहते हैं –...

Ashtavakra Gita | अष्टावक्र गीता – First Chapter | प्रथम अध्याय

अष्टावक्र गीता(मूल संस्कृत) अष्टावक्र गीता (हिंदी भावानुवाद) Ashtavakra Gita (English) जनक उवाच – कथं ज्ञानमवाप्नोति,कथं मुक्तिर्भविष्यति।वैराग्य च कथं प्राप्तमेतदब्रूहि मम प्रभो॥१-१॥ वयोवृद्ध राजा जनक, बालक अष्टावक्र से पूछते हैं –...