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सकट चौथ का व्रत रखने से पहले जरूर जानें ये बातें!

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सकट चौथ, जिसे संकट चतुर्थी या तिलकुट चौथ भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है और माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि, और जीवन में आने वाले कष्ट दूर होते हैं। लेकिन व्रत रखने से पहले इसकी विधि, नियम, और इससे जुड़ी परंपराओं को समझना बहुत जरूरी है। आइए जानें सकट चौथ से जुड़ी अहम बातें।


सकट चौथ का महत्व

1. भगवान गणेश की पूजा

सकट चौथ भगवान गणेश की उपासना का पर्व है। गणेश जी को विघ्नहर्ता और सुख-संपत्ति के प्रदाता के रूप में पूजा जाता है।

2. संतान की कुशलता का प्रतीक

यह व्रत मुख्य रूप से माताएं अपनी संतान की दीर्घायु, समृद्धि और जीवन में सुख-शांति के लिए करती हैं।

3. संकट नाश का पर्व

“सकट” का अर्थ है संकट। माना जाता है कि सकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं।


सकट चौथ व्रत से पहले जानने योग्य बातें

1. सही तिथि और समय

2. पूजा सामग्री तैयार करें

3. व्रत का प्रकार चुनें

4. तिल का महत्व

5. व्रत कथा का श्रवण


सकट चौथ व्रत और पूजा विधि

1. सुबह की शुरुआत

2. संकल्प लेना

3. पूजा करना

4. चंद्रमा को अर्घ्य देना


सकट चौथ के दौरान क्या करें?

1. संयम और शुद्धता बनाए रखें

2. दान-पुण्य करें

3. ध्यान और भजन-कीर्तन

4. परिवार के साथ पूजा करें


सकट चौथ के दौरान क्या न करें?

1. झूठ और छल-कपट से बचें

2. अन्न का सेवन न करें

3. क्रोध और विवाद से बचें

4. पूजा में अशुद्ध सामग्री का प्रयोग न करें


सकट चौथ का वैज्ञानिक महत्व

1. तिल का सेवन

तिल सर्दियों में शरीर को गर्मी और ऊर्जा प्रदान करता है। यह पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है।

2. उपवास का लाभ

उपवास शरीर को डिटॉक्स करने और पाचन तंत्र को आराम देने में मदद करता है।

3. चंद्र दर्शन

चंद्रमा को देखना मानसिक शांति और सकारात्मकता प्रदान करता है।


सकट चौथ की व्रत कथा

कथा के अनुसार, एक बार एक महिला ने सकट चौथ का व्रत रखा। उसका पुत्र एक कुएं में गिर गया, लेकिन भगवान गणेश की कृपा से वह सुरक्षित बाहर आ गया। तभी से यह व्रत संतान की कुशलता और संकटों के निवारण के लिए मनाया जाता है।


निष्कर्ष

सकट चौथ का व्रत धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह व्रत माताओं के संतान के प्रति प्रेम और भगवान गणेश के प्रति आस्था का प्रतीक है। व्रत के नियमों और परंपराओं का पालन कर न केवल धार्मिक फल प्राप्त होता है, बल्कि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि भी आती है।

“सकट चौथ व्रत एक ऐसा आध्यात्मिक अनुभव है, जो मन को शांति और जीवन को सकारात्मकता से भर देता है।”

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