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The Astrological Connection to Onam: A Deep Dive

The Astrological Connection to Onam: A Deep Dive

ओणम का ज्योतिषीय संबंध: एक गहरा अवलोकन

ओणम, केरल का एक महत्वपूर्ण त्योहार, न केवल धान की फसल के उत्सव का प्रतीक है बल्कि यह सांस्कृतिक समृद्धि, पौराणिक कथाओं और पारंपरिक मूल्यों का संगम भी है। हालाँकि ओणम को मुख्यतः एक फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है, ज्योतिषीय दृष्टि से भी इसका गहरा महत्व है। इस लेख में हम ओणम के त्योहार और ज्योतिष के बीच के संबंध की गहराई से जाँच करेंगे।

ओणम और समय का चक्र:

ओणम का त्योहार मलयाली कैलेंडर के चिंगम महीने में मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त-सितंबर के महीने में पड़ता है। ज्योतिषीय रूप से, चिंगम महीना सिंह राशि (Leo) से जुड़ा है, जिसका स्वामी सूर्य है। सूर्य ग्रहों में राजा माना जाता है और यह जीवन, ऊर्जा और प्रकाश का प्रतीक है। इस महीने के दौरान सूर्य अपनी शक्ति और तेज में चरम पर होता है, जो जीवन शक्ति और प्रचुरता का प्रतीक है।

ओणम का सबसे महत्वपूर्ण दिन थिरुवोनम (Thiruvonam) नक्षत्र से जुड़ा हुआ है। नक्षत्र, भारतीय ज्योतिष में चंद्रमा की स्थिति के आधार पर निर्धारित किए गए तारे समूह हैं। थिरुवोनम नक्षत्र, जिसे श्रवण नक्षत्र भी कहा जाता है, को 27 नक्षत्रों में से सबसे शुभ नक्षत्रों में से एक माना जाता है। श्रवण नक्षत्र का अर्थ है "सुनना" या "ज्ञान सुनना", और इसे सीखना, ज्ञान प्राप्त करना और आध्यात्मिक विकास से जोड़ा जाता है।

महाबली की कथा और ज्योतिषीय प्रतीकवाद:

ओणम की कथा राजा महाबली के आगमन से जुड़ी है। माना जाता है कि राजा महाबली, एक न्यायप्रिय और शक्तिशाली असुर राजा थे, जिन्होंने केरल पर शासन किया। उनकी लोकप्रियता से भयभीत देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की, जिन्होंने वामन अवतार लेकर महाबली को पाताल लोक भेज दिया। ओणम राजा महाबली की वार्षिक पृथ्वी यात्रा का उत्सव है।

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ज्योतिषीय दृष्टि से, महाबली की कथा में कई प्रतीकवाद छिपे हैं। कुछ विद्वान महाबली को बृहस्पति (Jupiter) ग्रह से जोड़ते हैं, जो ज्ञान, उदारता और धार्मिकता का प्रतीक है। महाबली की प्रजा के प्रति उदारता और न्यायप्रियता बृहस्पति के गुणों का प्रतीक है। वहीं, वामन अवतार को विष्णु का अवतार माना जाता है, जो ब्रह्मांड के संचालक हैं। यह कथा अच्छाई की बुराई पर विजय और ब्रह्मांडीय संतुलन के महत्व को दर्शाती है।

फसल उत्सव और ज्योतिषीय प्रभाव:

ओणम फसल उत्सव भी है, जो खेतों में धान की नई फसल के उत्सव का प्रतीक है। यह समय वर्षा ऋतु के बाद आता है, जब प्रकृति हरी-भरी और प्रचुर मात्रा में होती है। ज्योतिष में, वर्षा और फसलें ग्रहों और नक्षत्रों के गोचर से प्रभावित होती हैं। सूर्य और चंद्रमा की स्थिति, मानसून और फसल की उपज पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है।

ओणम का त्योहार ऐसे समय में मनाया जाता है जब सूर्य ऊर्जावान होता है और श्रवण नक्षत्र सकारात्मक ऊर्जा फैलाता है। यह समय नई शुरुआत, समृद्धि और आभार व्यक्त करने के लिए शुभ माना जाता है। ओणम पर घरों को सजाना, पकवान बनाना, और पारंपरिक खेल खेलना, सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने और खुशहाली लाने के प्रतीक हैं।

ओणम और व्यक्तिगत कुंडली:

कुछ ज्योतिषी ओणम के समय को व्यक्तिगत कुंडली के लिए भी महत्वपूर्ण मानते हैं। थिरुवोनम नक्षत्र, अपनी शुभता के कारण, नई परियोजनाओं और महत्वपूर्ण कार्यों को शुरू करने के लिए अनुकूल माना जाता है। कुछ लोग इस समय नए उद्यम शुरू करते हैं या महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं क्योंकि इसे सफलता और समृद्धि लाने वाला माना जाता है।

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निष्कर्ष:

ओणम केवल एक फसल उत्सव नहीं है, बल्कि यह ज्योतिषीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण समय है। चिंगम महीने और थिरुवोनम नक्षत्र का संयोजन, सूर्य और बृहस्पति ग्रहों के प्रतीकवाद, और फसल उत्सव का समय, सभी मिलकर ओणम को एक विशेष और शुभ त्योहार बनाते हैं। ओणम हमें समय के चक्रों, प्रकृति के साथ संतुलन और आध्यात्मिक विकास के महत्व को याद दिलाता है। यह त्योहार न केवल केरल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, बल्कि ज्योतिष और पारंपरिक ज्ञान के गहरे संबंधों को भी दर्शाता है।

ओणम की खुशियाँ सभी के जीवन में समृद्धि, शांति और सद्भाव लेकर आएं!

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