प्रस्तावना
हनुमान जी को शक्ति, भक्ति और सेवा का प्रतीक माना जाता है। पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में उन्हें अमर बताया गया है। लेकिन क्या इसका कोई आध्यात्मिक या ऐतिहासिक आधार है? आइए इस रहस्य को विस्तार से समझते हैं।
हनुमान जी की अमरता का कारण
1. श्रीराम का वरदान
- रामायण के अनुसार, जब श्रीराम हनुमान जी की भक्ति और सेवा से प्रसन्न हुए, तो उन्होंने हनुमान जी को अमरत्व का वरदान दिया।
- उन्होंने कहा कि जब तक इस धरती पर श्रीराम का नाम लिया जाएगा, तब तक हनुमान जी जीवित रहेंगे।
2. अष्ट चिरंजीवियों में स्थान
- हिंदू धर्म में आठ चिरंजीवी (अमर व्यक्तित्व) माने गए हैं, जिनमें हनुमान जी भी एक हैं।
- अन्य चिरंजीवी हैं: अश्वत्थामा, बलि, व्यास, विभीषण, परशुराम, कृपाचार्य और मार्कंडेय ऋषि।
3. महाभारत और अन्य ग्रंथों में उल्लेख
- महाभारत में भी हनुमान जी का उल्लेख मिलता है, जब वे भीम से मिले थे और अपनी पूंछ उठाने की चुनौती दी थी।
- कई संतों और भक्तों ने कथित रूप से हनुमान जी के दर्शन करने का दावा किया है।

क्या हनुमान जी आज भी धरती पर हैं?
- लोककथाएँ और मान्यताएँ: कई भक्तों और संतों का मानना है कि हनुमान जी आज भी हिमालय, जंगलों या गुप्त स्थानों पर निवास कर रहे हैं।
- मंदिरों में रहस्यमयी घटनाएँ: भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जहाँ भक्तों का दावा है कि उन्होंने हनुमान जी की उपस्थिति को महसूस किया है।
- अलौकिक घटनाएँ: कई कथाओं में कहा जाता है कि हनुमान जी आज भी जरूरत पड़ने पर अपने भक्तों की सहायता करते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
- आस्था और विश्वास का प्रभाव: हनुमान जी की अमरता को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं किया जा सकता, लेकिन उनकी भक्ति और शक्ति को मानने वाले करोड़ों लोग हैं।
- मनोवैज्ञानिक पहलू: जब लोग किसी शक्ति में विश्वास करते हैं, तो उन्हें मानसिक और आत्मिक बल मिलता है।
निष्कर्ष
हनुमान जी की अमरता एक धार्मिक और आध्यात्मिक विश्वास है, जिसे कई ग्रंथों और कथाओं में प्रमाणित किया गया है। विज्ञान इसे साबित नहीं कर सकता, लेकिन उनकी भक्ति और चमत्कारी कथाएँ आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। चाहे वे भौतिक रूप में हमारे बीच हों या नहीं, उनकी उपस्थिति भक्तों के हृदय में सदा बनी रहती है।