वैदिक ज्योतिष के दृष्टिकोण से ओणम को समझना
ओणम, केरल का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार, न केवल एक रंगारंग सांस्कृतिक उत्सव है बल्कि यह वैदिक ज्योतिष के सिद्धांतों में भी गहरी जड़ें रखता है। यह दस दिवसीय त्योहार, जो मलयालम महीने चिंगम (अगस्त-सितंबर) में मनाया जाता है, राजा महाबली की पौराणिक कथा और उनकी प्रिय प्रजा के पास वापसी का प्रतीक है। वैदिक ज्योतिष के लेंस के माध्यम से ओणम को समझने से हमें इस त्योहार के समय, रीति-रिवाजों और महत्व की गहरी समझ मिलती है।
ओणम का समय और वैदिक ज्योतिष:
ओणम नक्षत्र ‘श्रवण’ या ‘थिरुवोनम’ नक्षत्र के साथ मेल खाता है, जब चंद्रमा इस नक्षत्र में गोचर करता है। वैदिक ज्योतिष में नक्षत्रों का गहरा महत्व है, जो आकाश में तारों के नक्षत्रों को दर्शाते हैं और ऊर्जा तथा समय के चक्रों को प्रभावित करते हैं। थिरुवोनम नक्षत्र, जो विष्णु, पालनकर्ता देवता से जुड़ा है, शुभता, समृद्धि और विजय का प्रतीक है।
इसके अलावा, ओणम का समय सौर कैलेंडर के अनुसार तय होता है, जो सूर्य की गति पर आधारित है। चिंगम महीना सिंह राशि (Leo zodiac sign) के साथ मेल खाता है, जिसका प्रतिनिधित्व सूर्य ग्रह द्वारा किया जाता है। सूर्य ऊर्जा, शक्ति और जीवन शक्ति का प्रतीक है। सिंह राशि में सूर्य का गोचर उत्साह, प्रचुरता और नई शुरुआत का समय माना जाता है। यह फसल के मौसम की शुरुआत और समृद्धि का प्रतीक भी है, जो ओणम उत्सव से अच्छी तरह मेल खाता है।
राजा महाबली की कथा और वैदिक सिद्धांत:
ओणम की कथा राजा महाबली के चारों ओर घूमती है, जो एक न्यायप्रिय और उदार असुर राजा थे, जिन्होंने अपनी प्रजा के लिए स्वर्ण युग का निर्माण किया था। उनकी लोकप्रियता देवताओं के लिए खतरा बन गई, जिन्होंने वामन अवतार लेकर भगवान विष्णु से उनसे स्वर्ग वापस लेने का अनुरोध किया। हालांकि, भगवान विष्णु ने महाबली की भक्ति और गुणों को पहचाना और उन्हें वर्ष में एक बार अपनी प्रजा से मिलने के लिए पृथ्वी पर वापस आने का वरदान दिया।
यह कथा वैदिक दर्शन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को दर्शाती है:
- धर्म और कर्म: राजा महाबली की न्यायप्रियता और कर्मठता ‘धर्म’ के सिद्धांत का पालन करती है, जो सही आचरण और नैतिक कर्तव्य का मार्ग है। हालांकि, उनकी असुर जाति के कारण, देवताओं के साथ उनका संघर्ष ‘कर्म’ के अटल नियम को दर्शाता है, जिसके अनुसार हर क्रिया का फल होता है।
- भक्ति और उदारता: भगवान विष्णु द्वारा राजा महाबली को वरदान देना उनकी भक्ति और उदारता के महत्व को उजागर करता है। यह दर्शाता है कि निस्वार्थ कर्म और ईश्वर के प्रति भक्ति अंततः मोक्ष और कृपा की ओर ले जा सकती है।
- समय का चक्र: ओणम राजा महाबली की वार्षिक वापसी का जश्न मनाता है, जो समय के चक्रीय स्वभाव को दर्शाता है – सुख और दुख, उदय और पतन का शाश्वत चक्र।
ओणम के रीति-रिवाज और ज्योतिषीय महत्व:
ओणम के रीति-रिवाजों में भी वैदिक ज्योतिष के सिद्धांतों की झलक मिलती है:
- पुक्कलम (फूलों की रंगोली): यह शुभता और स्वागत का प्रतीक है। फूल प्रकृति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करते हैं, और रंगोली सकारात्मकता और खुशी को आकर्षित करने का एक तरीका है।
- ओण साद्या (भव्य भोज): यह प्रचुरता और कृतज्ञता का उत्सव है। भोजन को देवताओं को अर्पित किया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है, जो साझा करने और सामुदायिक भावना के वैदिक मूल्यों को दर्शाता है।
- वल्लम काली (सर्प नौका दौड़): यह ऊर्जा, उत्साह और सामूहिकता का प्रतीक है। नौकाओं की गति और समन्वय सूर्य ग्रह की ऊर्जा और जीवन शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- ओणम कोडी (नए वस्त्र): नए वस्त्र नई शुरुआत और शुद्धता का प्रतीक हैं। यह नकारात्मकता को त्यागने और सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ने का प्रतीक है।
निष्कर्ष:
ओणम केवल एक फसल उत्सव या राजा महाबली की वापसी का जश्न नहीं है। यह वैदिक ज्योतिष के सिद्धांतों, दार्शनिक विचारों और सांस्कृतिक मूल्यों का एक समृद्ध मिश्रण है। वैदिक ज्योतिष के लेंस के माध्यम से ओणम को समझने से हमें इस त्योहार के गहरे अर्थ और महत्व का एहसास होता है। यह हमें समय के चक्रीय स्वभाव, धर्म, कर्म, भक्ति और उदारता के वैदिक सिद्धांतों पर विचार करने और प्रकृति और परमात्मा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।
ओणम का उत्सव भारतीय संस्कृति और वैदिक ज्ञान की समृद्धि और विविधता का एक प्रमाण है, जो आज भी प्रासंगिक और सार्थक है। यह त्यौहार हमें सकारात्मकता, सद्भाव और उत्सव की भावना के साथ जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है।