Connect with us

Blog

क्या 13 नंबर सच में अशुभ है? जानिए 7 ज्योतिषीय कारण जो आपको हैरान कर देंगे!

Published

on

13 नंबर अशुभ, ज्योतिषीय कारण, मिथक और अंधविश्वास

क्या 13 नंबर सच में अशुभ है? जानिए 7 ज्योतिषीय कारण

13 नंबर के बारे में दुनिया भर में कई तरह के मिथक और अंधविश्वास जुड़े हुए हैं। खासकर पश्चिमी समाज में, इसे अशुभ और दुर्भाग्य का प्रतीक माना जाता है। लेकिन क्या यह वास्तव में सत्य है, या यह सिर्फ एक भ्रम है? भारतीय ज्योतिष में भी इस नंबर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों और कारणों का उल्लेख किया गया है, जिन्हें समझना ज़रूरी है। तो चलिए, जानें कि आखिर क्यों 13 नंबर को इतना अशुभ माना जाता है और इसके पीछे क्या ज्योतिषीय तर्क हैं।

1. मंगल ग्रह का प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार, अंक 13 का गहरा संबंध मंगल ग्रह से होता है, जिसे आक्रामकता, उग्रता और युद्ध का प्रतीक माना जाता है। मंगल की अशुभ दशा में यह ग्रह क्रोध और दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है। 13 अंक वाले लोगों के जीवन में अक्सर चुनौतियाँ और संघर्ष देखने को मिलते हैं। इसके साथ ही, इस अंक के प्रभाव से व्यक्ति अस्थिर और उग्र स्वभाव का हो सकता है।

2. शनि का दुष्प्रभाव

13 नंबर का संबंध शनि ग्रह से भी होता है, जो कर्मफल का स्वामी है। शनि ग्रह का प्रभाव किसी व्यक्ति के जीवन में धीरे-धीरे और गहरा होता है। शनि की दशा जब अशुभ हो, तो यह दुख, कष्ट और विपत्तियों का कारण बन सकती है। 13 नंबर के तहत जन्मे व्यक्तियों को शनि की प्रतिकूल स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उनके जीवन में समस्याएँ बढ़ सकती हैं।

Advertisement
See also  सपने में दांत टूटने का रहस्य: क्या यह संकेत हैं आपके भविष्य के बदलाव का?

3. राहु और केतु का दोष

13 नंबर के पीछे एक और कारण है राहु और केतु की उपस्थिति। राहु और केतु ग्रहों के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में भ्रम, धोखा और मानसिक तनाव बढ़ सकता है। यह दो ग्रहों की छाया किसी भी शुभ कार्य में बाधा उत्पन्न कर सकती है। 13 नंबर से प्रभावित व्यक्ति अक्सर मानसिक अशांति और निराशा का अनुभव करते हैं, जो उनके जीवन को और अधिक जटिल बना सकता है।

4. पंचांग और ग्रहण दोष

ज्योतिष के अनुसार, जिस दिन ग्रहण पड़ता है, उस दिन और अंक 13 का संबंध किसी न किसी रूप में होता है। ग्रहण का समय हमेशा अशुभ माना जाता है, और उस दौरान किए गए किसी भी कार्य का नकारात्मक परिणाम हो सकता है। इसलिए, कई बार 13 नंबर को ग्रहण दोष से भी जोड़ा जाता है, जिससे यह और अधिक अशुभ माना जाता है।

5. वास्तु शास्त्र में 13 नंबर

वास्तु शास्त्र के अनुसार, 13 नंबर का सीधा संबंध नकारात्मक ऊर्जा से होता है। जिस घर या स्थान का नंबर 13 होता है, वहाँ सकारात्मक ऊर्जा की कमी हो सकती है, जिससे वहाँ के निवासियों के जीवन में कठिनाइयाँ बढ़ सकती हैं। इसी वजह से कई लोग अपने घरों और ऑफिसों में 13 नंबर से बचने की कोशिश करते हैं।

Advertisement

6. पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव

हालाँकि 13 नंबर की अशुभता ज्यादातर पश्चिमी समाज में प्रचलित है, इसका प्रभाव धीरे-धीरे भारतीय समाज में भी देखने को मिल रहा है। पश्चिमी संस्कृति में 13 नंबर को अनलकी या दुर्भाग्यपूर्ण माना जाता है, और इसका संबंध डरावनी और अंधविश्वास से भरी कहानियों से भी है। भारतीय समाज में भी कुछ लोग इस अंधविश्वास को अपना रहे हैं, जिससे 13 नंबर का महत्व बढ़ता जा रहा है।

See also  कुंभ मेले में पितृ दोष निवारण: आध्यात्मिक उपाय और रहस्यमयी महत्व

7. महाभारत और भारतीय पुराणों का उल्लेख

महाभारत और अन्य भारतीय पुराणों में 13 नंबर का विशेष महत्व है। कई प्राचीन कथाओं में 13 अंक को अशुभ घटनाओं से जोड़ा गया है। उदाहरण के लिए, महाभारत के युद्ध के समय भी कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ 13वें दिन घटी थीं। इसके साथ ही, भारतीय पौराणिक कथाओं में इस अंक का उपयोग संकट और कष्ट का प्रतीक रूप में किया गया है।


निष्कर्ष: 13 नंबर की सच्चाई

ज्योतिष और अंधविश्वास के अनुसार, 13 नंबर के पीछे कई तर्क और कथाएँ छिपी हुई हैं। हालाँकि, इसका अर्थ और प्रभाव व्यक्ति की कुंडली और ग्रहों की स्थिति पर भी निर्भर करता है। यदि आपकी कुंडली में यह अंक सही तरीके से बैठा हो, तो यह शुभ फल भी दे सकता है। इसलिए, अंधविश्वास से बचते हुए, हमें ज्योतिषीय तथ्यों और अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए।

Advertisement

इस लेख में हमने 13 नंबर से जुड़े 7 प्रमुख ज्योतिषीय कारणों को समझा है, जो इसे अशुभ मानने का आधार प्रदान करते हैं। परंतु, यह कहना सही होगा कि अंततः सब कुछ व्यक्ति के दृष्टिकोण और उसकी आस्था पर निर्भर करता है।

क्या आपको भी 13 नंबर के बारे में कोई विशेष अनुभव है? कमेंट्स में अपनी राय और अनुभव हमारे साथ साझा करें!

Advertisement

अचार्य अभय शर्मा एक अनुभवी वेदांताचार्य और योगी हैं, जिन्होंने 25 वर्षों से अधिक समय तक भारतीय आध्यात्मिकता का गहन अध्ययन और अभ्यास किया है। वेद, उपनिषद, और भगवद्गीता के विद्वान होने के साथ-साथ, अचार्य जी ने योग और ध्यान के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार की राह दिखाने का कार्य किया है। उनके लेखन में भारतीय संस्कृति, योग, और वेदांत के सिद्धांतों की सरल व्याख्या मिलती है, जो साधारण लोगों को भी गहरे आध्यात्मिक अनुभव का मार्ग प्रदान करती है।

Continue Reading
Advertisement
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © 2023 Indian Mythology | All Right Reserve