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    क्या आप सही दिशा में भोजन कर रहे हैं? जानिए वास्तु शास्त्र के अनुसार कौन-सी दिशा देगी आपको अपार धन और यश!

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    सही दिशा में भोजन करना - वास्तु शास्त्र के लाभ

    खाने की दिशा से जुड़ा रहस्य: वास्तु के अनुसार सही दिशा में भोजन करें और पाएं अपार धन, यश और समृद्धि!

    क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र के अनुसार भोजन करने की सही दिशा का आपकी सेहत, समृद्धि, और मानसिक शांति से गहरा संबंध है? अगर आप भी अपनी जिंदगी में अपार धन और यश की प्राप्ति करना चाहते हैं, तो सही दिशा में भोजन करना आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है। इस लेख में, हम जानेंगे कि वास्तु के अनुसार किस दिशा में भोजन करना सबसे लाभकारी होता है और इसके क्या-क्या फायदे हैं।


    प्रश्न: वास्तु शास्त्र के अनुसार कौन सी दिशा में भोजन करना चाहिए?

    वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूर्व दिशा में बैठकर भोजन करना सबसे शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पूर्व दिशा में भोजन करने से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह अच्छा रहता है और पाचन क्रिया भी सही रहती है। यह दिशा सूर्य के उदय की दिशा है और इसमें सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।

    प्रश्न: दक्षिण दिशा में भोजन करने के क्या नुकसान हैं?

    दक्षिण दिशा में भोजन करना वास्तु के अनुसार उचित नहीं माना जाता। यह दिशा यमराज की दिशा होती है, जो कि मृत्यु और नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। दक्षिण दिशा में भोजन करने से पाचन में समस्याएं हो सकती हैं, मानसिक अशांति बनी रह सकती है और आर्थिक नुकसान का भी डर होता है।

    प्रश्न: पश्चिम दिशा में भोजन करना कैसा होता है?

    पश्चिम दिशा में भोजन करना सामान्यतः अच्छा नहीं माना जाता। हालांकि, अगर कोई और विकल्प नहीं हो, तो आप इस दिशा में भी भोजन कर सकते हैं। लेकिन इस दिशा में भोजन करने से आलस्य, थकान और उदासी की भावना पैदा हो सकती है, जो कि स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है।

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    प्रश्न: उत्तर दिशा में भोजन करने के क्या लाभ हैं?

    उत्तर दिशा को धन और समृद्धि की दिशा माना जाता है। वास्तु के अनुसार, इस दिशा में भोजन करने से आपको आर्थिक लाभ, करियर में तरक्की और मानसिक शांति प्राप्त हो सकती है। उत्तर दिशा में भोजन करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आपका मन भी खुश रहता है।

    प्रश्न: भोजन करने की दिशा का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?

    भोजन करने की दिशा का स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है। सही दिशा में भोजन करने से न केवल आपके पाचन तंत्र को फायदा होता है, बल्कि आपका मानसिक संतुलन भी बना रहता है। गलत दिशा में भोजन करने से स्वास्थ्य समस्याएं जैसे अपच, पेट दर्द, गैस और अन्य पेट संबंधी विकार हो सकते हैं।

    प्रश्न: भोजन के समय कौन सी अन्य बातें ध्यान में रखनी चाहिए?

    • सकारात्मक वातावरण: भोजन करते समय हमेशा सकारात्मक वातावरण में रहें। इसके लिए आप धार्मिक ग्रंथों का पाठ कर सकते हैं या शांतिपूर्ण संगीत सुन सकते हैं।
    • भोजन का प्रकार: सादा और ताजे भोजन का सेवन करें। फास्ट फूड और तले-भुने खाने से बचें।
    • मनोदशा का प्रभाव: भोजन करते समय मन को शांत और एकाग्र रखें। क्रोध, चिंता, या उदासी की स्थिति में भोजन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

    प्रश्न: क्या वास्तु के अन्य उपाय भी हैं जिन्हें भोजन के साथ अपनाया जा सकता है?

    जी हां, वास्तु के अनुसार कुछ अन्य उपाय भी हैं जिन्हें भोजन के साथ अपनाने से आपकी जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं। जैसे कि, भोजन करते समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें, भोजन के पहले और बाद में हाथ और पैर धोएं, भोजन से पहले एक गिलास पानी पिएं, आदि।

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    प्रश्न: क्या वास्तु के अनुसार भोजन की दिशा बदलने से तुरंत लाभ मिलता है?

    वास्तु के अनुसार भोजन की दिशा बदलने से तुरंत प्रभाव नहीं पड़ता, लेकिन धीरे-धीरे इसका असर ज़रूर दिखने लगता है। सकारात्मक दिशा में भोजन करने से शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ता है, स्वास्थ्य में सुधार होता है और मानसिक शांति मिलती है। इसलिए, इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें और धैर्य रखें।


    निष्कर्ष

    वास्तु शास्त्र न केवल हमारे घर और कार्यालय के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारी दिनचर्या में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भोजन करने की सही दिशा का चुनाव करके आप न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आर्थिक समृद्धि भी प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप भी अपने जीवन में बदलाव चाहते हैं, तो आज ही सही दिशा में भोजन करना शुरू करें और इसके चमत्कारी लाभों का अनुभव करें।

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    अचार्य अभय शर्मा एक अनुभवी वेदांताचार्य और योगी हैं, जिन्होंने 25 वर्षों से अधिक समय तक भारतीय आध्यात्मिकता का गहन अध्ययन और अभ्यास किया है। वेद, उपनिषद, और भगवद्गीता के विद्वान होने के साथ-साथ, अचार्य जी ने योग और ध्यान के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार की राह दिखाने का कार्य किया है। उनके लेखन में भारतीय संस्कृति, योग, और वेदांत के सिद्धांतों की सरल व्याख्या मिलती है, जो साधारण लोगों को भी गहरे आध्यात्मिक अनुभव का मार्ग प्रदान करती है।

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