क्या कांच टूटना, अशुभ माना जाता है या फिर नहीं

Is breaking of glass considered inauspicious or not?

कांच Mirror का टूटना अशुभ माना जाता है या फिर नहीं? नमस्कार दोस्तों, अक्सर आपने सुना होगा की अगर घर में कांच Mirror टूट जाए तो लोग तुरंत बोल उठते हैं की ये अशुभ संकेत है। लेकिन क्या वाकई में टूटा हुआ कांच अशुभ होता है, या ये सिर्फ हमारी परंपराओं और मान्यताओं का हिस्सा है, आइए जानते हैं इस विषय पर विस्तार से।

कांच Mirror को माना जाता है सुंदरता का प्रतीक 

  • कांच Mirror को प्राचीन समय से ही सुंदरता, शुद्धता और पारदर्शिता का प्रतीक माना जाता है। 
  • यही कारण है की घरों, मंदिरों और महलों की सजावट में इसका प्रयोग होता आया है। 
  • जब कोई चीज जो सुंदरता का प्रतीक हो, टूट जाती है, तो उसे नकारात्मकता से जोड़ दिया जाता है। 
  • खासतौर पर जब मंदिर या पूजास्थल का कांच Mirror टूट जाए, तो इसे धार्मिक दृष्टि से अशुभ माना जाता है। 
  • ऐसा माना जाता है की यह किसी अनिष्ट की ओर संकेत कर सकता है।
  • हिंदू धर्म में भी कांच Mirror का विशेष महत्व है। 
  • देवी-देवताओं के मंदिरों में कांच Mirror का उपयोग उनकी छवि को सजाने और उनकी उपस्थिति को भव्य बनाने के लिए किया जाता है। 
  • अगर ऐसे किसी पवित्र स्थान का कांच Mirror टूट जाए, तो लोग इसे भगवान की नाराज़गी के रूप में देखते हैं।

वैज्ञानिक दुनिया क्या कहती है 

लेकिन अगर हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें, तो यह कहना उचित नहीं होगा की कांच Mirror टूटना अशुभ है। कई बार ऐसा होता है की कांच Mirror टूटने के थोड़ी देर बाद ही कोई अप्रिय घटना घटती है, जिससे लोग दोनों बातों को जोड़ लेते हैं और मान लेते हैं की कांच Mirror टूटना ही कारण था। वास्तव में यह केवल एक संयोग होता है।

कभी-कभी कांच Mirror का टूटना हमारी लापरवाही, मौसम के बदलाव या पुराने कांच Mirror के कमजोर होने की वजह से भी हो सकता है। विज्ञान इसे केवल एक भौतिक घटना मानता है, जिसका भविष्य से कोई संबंध नहीं होता।

इसलिए दोस्तों, यह जरूरी है की हम अंधविश्वास और परंपरा के बीच का फर्क समझें। हर टूटी हुई चीज अशुभ नहीं होती, जरूरी है की हम तार्किक सोच रखें और घटनाओं को केवल संयोग की नजर से भी देखें।

निष्कर्ष

कांच Mirror का टूटना एक सामान्य घटना है, लेकिन हमारे समाज में इसे परंपराओं और मान्यताओं के कारण अशुभ माना जाता है। हालांकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसका कोई आधार नहीं है। हमें सोच-समझकर किसी बात को मानना चाहिए और किसी से पूछ लेना चाहिए।

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