मौनी अमावस्या, जो कि माघ महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या है, इस वर्ष 29 जनवरी 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी. इस दिन पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए दीप जलाने का विशेष महत्व है।
दीप जलाने का समय
- सूर्यास्त: 5:58 PM
- दीप जलाने का उचित समय: सूर्यास्त के बाद, विशेषकर प्रदोष काल में, जो कि सूर्यास्त के बाद अंधेरा होने से पहले होता है
दीप जलाने की विधि
- दीपक तैयार करें: मिट्टी का एक दीपक लें, उसे पानी से धोकर सुखा लें।
- तेल भरें: दीपक में सरसों या तिल का तेल भरें और उसमें एक बाती लगाएं।
- दीप जलाएं: अपने पितरों का स्मरण करते हुए दीपक को जलाएं। इसे घर के दक्षिण दिशा में रखें, क्योंकि यह पितरों की दिशा मानी जाती है
- रातभर जलता रहे: दीपक को रातभर जलाकर रखना चाहिए ताकि पितर अपने लोक लौटते समय अंधकार में न रहें
दीप जलाने का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते हैं और अपने वंश से तर्पण और दान की अपेक्षा करते हैं। दीप जलाने से उनके मार्ग में प्रकाश होता है, जिससे वे आसानी से लौट सकें और अपने वंश को आशीर्वाद दें
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने का भी विशेष महत्व है, जिससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है

अचार्य अभय शर्मा एक अनुभवी वेदांताचार्य और योगी हैं, जिन्होंने 25 वर्षों से अधिक समय तक भारतीय आध्यात्मिकता का गहन अध्ययन और अभ्यास किया है। वेद, उपनिषद, और भगवद्गीता के विद्वान होने के साथ-साथ, अचार्य जी ने योग और ध्यान के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार की राह दिखाने का कार्य किया है। उनके लेखन में भारतीय संस्कृति, योग, और वेदांत के सिद्धांतों की सरल व्याख्या मिलती है, जो साधारण लोगों को भी गहरे आध्यात्मिक अनुभव का मार्ग प्रदान करती है।