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सकट चौथ पर गणेश जी की यह कथा:

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गणेश जी की कथा के बिना अधूरी है संकट चौथ, जानिए इसका महत्व

सकट चौथ का पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे संकट हरण चौथ, वक्रतुंडी चतुर्थी या तिलकुट चौथ के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन भगवान गणेश और माता संकटा को समर्पित है। सकट चौथ के व्रत के दौरान भगवान गणेश की पूजा विशेष विधि-विधान से की जाती है, और उनकी कथा सुनने का विशेष महत्व है। इस कथा को सुनने से जीवन के सभी कष्ट समाप्त होते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि का वरदान मिलता है। आइए, विस्तार से जानते हैं गणेश जी की कथा और इससे मिलने वाला संदेश।


सकट चौथ की कथा

कथा का प्रारंभ

प्राचीन काल में एक ब्राह्मण और ब्राह्मणी अपने पुत्र के साथ एक छोटे से गाँव में रहते थे। ब्राह्मणी अत्यंत धार्मिक और भगवान गणेश की अनन्य भक्त थी। वह हर चौथ को व्रत रखती और भगवान गणेश की पूजा करती।

बालक का कष्ट

एक बार उनका पुत्र बीमार पड़ गया। उसकी हालत इतनी खराब हो गई कि ब्राह्मणी और ब्राह्मण ने सभी उपाय कर लिए, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। तब ब्राह्मणी ने सकट चौथ के दिन भगवान गणेश से प्रार्थना की कि वे उनके पुत्र के प्राणों की रक्षा करें।

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गणेश जी का आशीर्वाद

उस दिन ब्राह्मणी ने पूरे विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा की और निर्जला व्रत रखा। पूजा समाप्त होने के बाद उसने गणेश जी की कथा सुनी और उन्हें प्रसन्न करने के लिए चंद्रमा को अर्घ्य दिया। गणेश जी उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उनके पुत्र को स्वस्थ कर दिया।

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सकट चौथ कथा के अन्य संदर्भ

महाभारत का संदर्भ

महाभारत काल में भी सकट चौथ से जुड़ी एक कथा प्रसिद्ध है। पांडवों के वनवास के समय द्रौपदी ने सकट चौथ का व्रत किया था। उन्होंने भगवान गणेश की पूजा करके पांडवों की रक्षा और संकटों के निवारण की प्रार्थना की थी। गणेश जी की कृपा से पांडवों के सभी संकट दूर हुए और उन्हें विजय का आशीर्वाद मिला।


सकट चौथ का धार्मिक महत्व

  1. कष्टों का निवारण: सकट चौथ की कथा सुनने और व्रत रखने से जीवन के सभी संकट समाप्त होते हैं।
  2. संतान की रक्षा: यह व्रत विशेष रूप से संतान की लंबी आयु और कल्याण के लिए रखा जाता है।
  3. आध्यात्मिक शांति: गणेश जी की पूजा और उनकी कथा सुनने से मानसिक शांति और समृद्धि मिलती है।
  4. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, और उनकी आराधना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

सकट चौथ व्रत की विधि

  1. सुबह की तैयारी: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा की तैयारी: गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर को उत्तर या पूर्व दिशा में रखें।
  3. पूजा सामग्री: रोली, चावल, तिल, गुड़, घी, दीपक और फूल अर्पित करें।
  4. कथा वाचन: पूजा के बाद गणेश जी की कथा सुनें और ध्यान करें।
  5. चंद्रमा को अर्घ्य: रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करें।

निष्कर्ष (Conclusion)

सकट चौथ की कथा हमें यह सिखाती है कि श्रद्धा और भक्ति से भगवान गणेश को प्रसन्न किया जा सकता है। यह पर्व माता-पिता और संतान के रिश्ते की मजबूती का प्रतीक भी है। सकट चौथ का व्रत जीवन के हर संकट को दूर करने का एक मार्ग है।
गणेश जी की यह कथा हमें यह संदेश देती है कि जीवन के हर कठिन समय में धैर्य, भक्ति, और सकारात्मक सोच को बनाए रखना चाहिए।
इसलिए, सकट चौथ पर गणेश जी की पूजा और कथा को सुनना और समझना बेहद जरूरी है, ताकि उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का अनुभव हो। 🌺

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अचार्य अभय शर्मा एक अनुभवी वेदांताचार्य और योगी हैं, जिन्होंने 25 वर्षों से अधिक समय तक भारतीय आध्यात्मिकता का गहन अध्ययन और अभ्यास किया है। वेद, उपनिषद, और भगवद्गीता के विद्वान होने के साथ-साथ, अचार्य जी ने योग और ध्यान के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार की राह दिखाने का कार्य किया है। उनके लेखन में भारतीय संस्कृति, योग, और वेदांत के सिद्धांतों की सरल व्याख्या मिलती है, जो साधारण लोगों को भी गहरे आध्यात्मिक अनुभव का मार्ग प्रदान करती है।

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