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    2025 Ugadi Muhurat: Date and Time for Puja and Celebrations

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    2025 उगादि मुहूर्त: जानें पूजा का शुभ समय और उत्सव की विधि!

    जैसे ही वसंत ऋतु की मधुर हवाएं और प्रकृति का पुनर्जन्म होता है, भारत में कई लोग एक महत्वपूर्ण पर्व के आगमन का बेसब्री से इंतजार करते हैं – उगादि! यह त्योहार दक्षिण भारत, विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में, नए साल की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है। यह न केवल कैलेंडर का परिवर्तन है, बल्कि आशा, समृद्धि और नई शुरुआतओं का प्रतीक भी है।

    2025 में उगादि कब है?

    वर्ष 2025 में, उगादि का पावन पर्व [तिथि डालें] [दिन डालें] को मनाया जाएगा। यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को पड़ता है, जो हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार पहले महीने का पहला दिन होता है। यह ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार आमतौर पर मार्च या अप्रैल के महीने में आता है।

    उगादि मुहूर्त 2025: पूजा का शुभ समय

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    उगादि पर विशेष पूजा का विधान है, जो नए साल के शुभ आरंभ के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। हालांकि सटीक मुहूर्त पंचांग के अनुसार भिन्न हो सकता है, सामान्यतः उगादि पूजा के लिए सबसे शुभ समय सूर्योदय के बाद का समय होता है।

    यहाँ 2025 में उगादि पूजा के लिए संभावित शुभ समय दिए गए हैं (स्थानीय पंचांग से पुष्टि करें):

    • सूर्योदय: [आपके शहर में सूर्योदय का समय डालें]
    • प्रातः काल मुहूर्त: [अनुमानित समय डालें, उदाहरण: सुबह 6:00 बजे से 10:00 बजे तक] – यह समय पूजा, प्रार्थना और अन्य शुभ कार्यों के लिए विशेष रूप से अच्छा माना जाता है।
    • ब्रह्म मुहूर्त: सूर्योदय से पहले का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है, जो ध्यान और आध्यात्मिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। आप इस समय भी प्रार्थना और भगवान का स्मरण कर सकते हैं।
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    यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने स्थानीय पंडित या पंचांग से 2025 के लिए सटीक उगादि मुहूर्त की पुष्टि करें क्योंकि नक्षत्रों और ग्रहों की स्थिति के आधार पर मुहूर्त थोड़ा भिन्न हो सकता है। वे आपको आपके स्थान के अनुसार सबसे सटीक और शुभ समय बता पाएंगे।

    उगादि उत्सव की विधि और परंपराएं

    उगादि केवल पूजा का पर्व नहीं है, बल्कि यह उत्सव, उमंग और परंपराओं से भरपूर है। इस दिन लोग कई तरह के रीति-रिवाजों का पालन करते हैं:

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    • घर की सफाई और सजावट: उगादि से पहले, घर को अच्छी तरह से साफ किया जाता है और सजाया जाता है। दरवाजों पर आम के पत्तों की तोरण (माला) लगाई जाती है, जो शुभ और समृद्धि का प्रतीक है। रंगोली से आंगन को सजाया जाता है।
    • नई वस्त्र और उपहार: लोग नए कपड़े पहनते हैं और अपनों को उपहार देते हैं। बच्चों और बड़ों में नए कपड़ों को लेकर उत्साह रहता है।
    • उगादि पचड़ी: यह उगादि का सबसे महत्वपूर्ण भोजन है। उगादि पचड़ी छह स्वादों का मिश्रण है – मीठा, नमकीन, कड़वा, तीखा, खट्टा और कसैला। यह जीवन के सभी अनुभवों का प्रतीक है – सुख-दुख, खुशी-गम। इसे नए साल की शुरुआत में खाना यह दर्शाता है कि हम जीवन के सभी पहलुओं को समान रूप से स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।
    • पंचांग श्रवणम: पंडित या घर के बड़े सदस्य नए साल का पंचांग (हिंदू कैलेंडर) पढ़कर सुनाते हैं। इसमें आने वाले वर्ष के लिए ज्योतिषीय भविष्यवाणियां, त्योहारों की तिथियां और महत्वपूर्ण मुहूर्त होते हैं।
    • विशेष व्यंजन: उगादि पर कई स्वादिष्ट व्यंजन बनते हैं। पारंपरिक व्यंजनों में पुलीहोरा (इमली चावल), बोंडा, पायसम आदि शामिल हैं।
    • परिवार और मित्र मिलन: उगादि पारिवारिक मिलन और सामाजिकता का पर्व है। लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलते हैं, शुभकामनाएं देते हैं और खुशियां बांटते हैं।
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    उगादि का महत्व

    उगादि एक ऐसा पर्व है जो हमें अतीत को भूलकर नए सिरे से शुरुआत करने की प्रेरणा देता है। यह हमें प्रकृति के चक्र और समय के महत्व का एहसास कराता है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में सुख-दुख दोनों ही आते हैं, और हमें दोनों को स्वीकार करना चाहिए। यह त्यौहार हमें परिवार, समुदाय और संस्कृति के महत्व को भी याद दिलाता है।

    इस उगादि 2025 पर, आइए हम सब मिलकर नए साल का स्वागत करें, पूजा करें, परंपराओं का पालन करें और सकारात्मक ऊर्जा के साथ एक नई शुरुआत करें।

    आपको और आपके परिवार को उगादि की हार्दिक शुभकामनाएं!

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