शिमला समझौता रद्द होने से, कैसे होगा भारत का नुकसान

How will India suffer loss due to cancellation of Shimla Agreement?

शिमला समझौता Shimla Agreement रद्द, अब देखिए भारत की अपडेट ? नमस्कार दोस्तों, हाल ही में पाकिस्तान द्वारा शिमला समझौते Shimla Agreement को रद्द करना एक बहुत ही गंभीर और संवेदनशील कदम माना जा रहा है। 

  • यह समझौता 1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच शांति बनाए रखना और नियंत्रण रेखा (LOC) की पवित्रता को बरकरार रखना था। 
  • लेकिन अब जब पाकिस्तान ने इस समझौते को औपचारिक रूप से रद्द कर दिया है, तो इसका सीधा मतलब यह है की अब दोनों देशों पर LOC की मर्यादा बनाए रखने की बाध्यता नहीं रही।

भारत पर अब जिम्मेदारी हो गई है कम 

  • इससे एक ओर जहां यह प्रतीत होता है की भारत पर एक बड़ी कूटनीतिक जिम्मेदारी कम हो गई है, वहीं दूसरी ओर यह चिंता का विषय भी बन गया है। 
  • अब LOC पर भारत अधिक स्पष्ट और आक्रामक रणनीति अपना सकता है, खासकर उस क्षेत्र में जहां पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है। 
  • यह भारत के लिए एक अवसर हो सकता है की वह पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) में अपनी स्थिति को और मज़बूत करे।
  • लेकिन इस परिस्थिति में डर और घबराहट की भावना भी स्वाभाविक है।
  • जब भी कोई देश आक्रामक रणनीति अपनाता है, तो संघर्ष की स्थिति पैदा हो सकती है, जिससे निर्दोष नागरिकों की जान को खतरा होता है। 
  • खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों में बसे लोगों की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा बन सकती है।

पाकिस्तान में भविष्य में चुप नहीं बैठने वाला है 

भविष्य में पाकिस्तान द्वारा भारत पर हमले करने की संभावना भी बढ़ सकती है, क्योंकि अब समझौते का कोई बंधन नहीं रहा। ऐसे में भारतीय सेना को और अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। इसके साथ ही भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी इस विषय को उठाना चाहिए ताकि पाकिस्तान की मंशा को दुनिया समझ सके।

कुल मिलाकर, पाकिस्तान का यह कदम क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा है। भारत को अब संतुलित लेकिन मजबूत नीति अपनाकर देश की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी, जिससे न केवल अपनी सीमाएं सुरक्षित रहें, बल्कि निर्दोष नागरिकों की जान भी सुरक्षित रह सके।

निष्कर्ष

यहां पर आपको बताया गया है की हाल ही में हुए एक बड़े हमले के बाद पाकिस्तान ने शिमला एग्रीमेंट Shimla Agreement को रद्द कर दिया है। अब दोनों देशों के ऊपर LOC की जिम्मेदारी कम हो गई है। लेकिन अभी भी भारत के अंदर कुछ बातों का डर है। अब देखना यह है की कौन सा नया फैसला सामने आता है।

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