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पितृ पक्ष 2024: श्राद्ध की तिथि, पूजा विधि और धार्मिक महत्त्व

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पितृ पक्ष 2024 की श्राद्ध तिथि और पूजा विधि

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्त्व होता है, जिसे पितरों को सम्मान और तर्पण अर्पित करने के लिए जाना जाता है। पितृ पक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। इस लेख में हम पितृ पक्ष 2024 की तिथि, श्राद्ध विधि और इस अवसर का धार्मिक महत्त्व जानेंगे।

पितृ पक्ष 2024 की तिथियां

पितृ पक्ष 2024 की शुरुआत 17 सितंबर से हो रही है और यह 30 सितंबर तक चलेगा। इस पखवाड़े के दौरान, हर दिन किसी न किसी तिथि के आधार पर पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है। जो व्यक्ति अपने परिवार के किसी पूर्वज की पुण्यतिथि नहीं जानते, वे अमावस्या के दिन श्राद्ध कर सकते हैं, जिसे सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है।

श्राद्ध की पूजा विधि

पितृ पक्ष में श्राद्ध करना एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया मानी जाती है। श्राद्ध की पूजा विधि इस प्रकार है:

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  1. तिथि निर्धारण: सबसे पहले यह देखें कि आपके पूर्वज की मृत्यु किस तिथि को हुई थी। उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है।
  2. तर्पण और पिंडदान: पितरों के तर्पण और पिंडदान का विशेष महत्त्व होता है। यह क्रिया गंगा या किसी पवित्र नदी के किनारे की जाती है।
  3. भोजन: श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन कराने का विशेष प्रावधान है। भोजन में खीर, पूरी, और हलवा विशेष रूप से तैयार किया जाता है।
  4. दान देना: पितरों की आत्मा की शांति के लिए वस्त्र, अनाज, और धन का दान करना शुभ माना जाता है।
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पितृ पक्ष का धार्मिक महत्त्व

पितृ पक्ष के दौरान किए गए श्राद्ध और तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यह माना जाता है कि पितृ पक्ष में श्रद्धापूर्वक किए गए कर्मकांड परिवार में सुख, समृद्धि और शांति लाते हैं। जो व्यक्ति इस समय अपने पितरों का ध्यान करते हैं, उन्हें जीवन में कई बाधाओं से मुक्ति मिलती है और वे मानसिक और शारीरिक समृद्धि प्राप्त करते हैं।

पितृ दोष से मुक्ति के उपाय

पितृ दोष का संकेत यह होता है कि आपके पूर्वज आपसे नाराज हैं या उनकी आत्मा की शांति के लिए पूर्ण विधि-विधान से तर्पण नहीं किया गया है। पितृ दोष के निवारण के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  1. प्रतिदिन तर्पण करना: पितृ पक्ष के हर दिन पितरों का तर्पण करना आवश्यक है।
  2. सूर्य को अर्घ्य देना: सूर्योदय के समय सूर्य को जल अर्पित करें और पितरों का ध्यान करें।
  3. गायों और पक्षियों को भोजन कराएं: गायों, कुत्तों और पक्षियों को खाना खिलाना पितृ दोष से मुक्ति के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
  4. पवित्र स्थान पर श्राद्ध: गंगा, हरिद्वार, या अन्य किसी पवित्र स्थल पर श्राद्ध करना विशेष फलदायी माना गया है।

निष्कर्ष

पितृ पक्ष का समय पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है। श्राद्ध और तर्पण की विधि से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, और वे अपने परिवार को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। 2024 में पितृ पक्ष का पालन सही विधि से करने से आप अपने जीवन की अनेक समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

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अचार्य अभय शर्मा एक अनुभवी वेदांताचार्य और योगी हैं, जिन्होंने 25 वर्षों से अधिक समय तक भारतीय आध्यात्मिकता का गहन अध्ययन और अभ्यास किया है। वेद, उपनिषद, और भगवद्गीता के विद्वान होने के साथ-साथ, अचार्य जी ने योग और ध्यान के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार की राह दिखाने का कार्य किया है। उनके लेखन में भारतीय संस्कृति, योग, और वेदांत के सिद्धांतों की सरल व्याख्या मिलती है, जो साधारण लोगों को भी गहरे आध्यात्मिक अनुभव का मार्ग प्रदान करती है।

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