सकट चौथ, जिसे संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो हर साल माघ माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए माता-पिता द्वारा व्रत रखा जाता है।
सकट चौथ का महत्व
- पूजा का उद्देश्य: इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिन्हें संकट हरण का देवता माना जाता है। व्रति माताएं अपने बच्चों के कल्याण और दीर्घायु के लिए उपवास रखती हैं।
- धार्मिक मान्यता: मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश ने माता पार्वती और शिव जी की परिक्रमा की थी, जिससे उनकी पूजा का महत्व बढ़ गया।
पूजा विधि
- स्नान और व्रत का संकल्प: प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। व्रत का संकल्प लें।
- पूजा सामग्री: गणेश जी की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं और उन्हें फल, फूल, दूर्वा घास, तिल के लड्डू आदि अर्पित करें।
- आरती और भोग: पूजा के बाद गणेश जी की आरती करें और तिलकुट का भोग लगाएं।
- चंद्रमा की पूजा: शाम को चंद्रमा के दर्शन करने के बाद व्रत का पारण करें।
महत्वपूर्ण तिथियाँ
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 17 जनवरी 2025 को सुबह 4:06 बजे।
- चतुर्थी तिथि समाप्त: 18 जनवरी 2025 को सुबह 5:30 बजे।
- चंद्रमा का उदय: 17 जनवरी 2025 को रात 9:09 बजे।
सकट चौथ से जुड़े नियम
- इस दिन काले रंग के वस्त्र न पहनें।
- उपवास रखते समय केवल फल-फूल का सेवन करें या पूर्ण उपवास रखें।
सकट चौथ का व्रत न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह परिवार में सुख और समृद्धि लाने का भी एक माध्यम है।