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सकट चौथ के दिन इन बातों का रखें ध्यान, वरना हो सकता है अनिष्ट!

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"सकट चौथ पर इन गलतियों से बचें, वरना हो सकता है अशुभ प्रभाव!"

सकट चौथ का पर्व हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह भगवान गणेश और माता संकटा को समर्पित होता है। इस दिन व्रत और पूजा के माध्यम से लोग अपनी समस्याओं का समाधान और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। लेकिन इस पवित्र दिन पर कुछ खास बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। अगर इन बातों को अनदेखा किया गया, तो व्रत और पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता और कई बार इसका विपरीत प्रभाव भी हो सकता है।


1. पूजा की शुद्धता का ध्यान रखें

सकट चौथ की पूजा में शुद्धता का विशेष महत्व है। पूजा स्थल को स्वच्छ करें और स्वयं स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें। पूजा के दौरान किसी भी प्रकार की अशुद्धता वर्जित है।

नकारात्मक प्रभाव: पूजा की शुद्धता न होने पर आपकी प्रार्थनाएं अधूरी रह सकती हैं।

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2. व्रत का उल्लंघन न करें

व्रत के दौरान जल, अन्न या अन्य किसी प्रकार का भोग ग्रहण न करें। इस दिन निर्जला व्रत का पालन करना श्रेष्ठ माना जाता है।

नकारात्मक प्रभाव: व्रत भंग होने से मनोकामनाएं पूर्ण नहीं होतीं।


3. भगवान गणेश की मूर्ति सही दिशा में स्थापित करें

भगवान गणेश की पूजा करते समय मूर्ति का मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर रखें। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।

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नकारात्मक प्रभाव: गलत दिशा में पूजा करने से आपकी पूजा का प्रभाव कम हो सकता है।


4. व्रत के दौरान विवाद और क्रोध से बचें

सकट चौथ के दिन मन को शांत और सकारात्मक रखना चाहिए। क्रोध, झगड़े या नकारात्मक सोच से व्रत का प्रभाव कम हो सकता है।

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नकारात्मक प्रभाव: नकारात्मक ऊर्जा आपकी पूजा के प्रभाव को खत्म कर सकती है।

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5. चंद्रमा को अर्घ्य देना न भूलें

सकट चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देना अनिवार्य है। यह व्रत की समाप्ति का प्रतीक होता है।

नकारात्मक प्रभाव: चंद्र अर्घ्य न देने से व्रत अधूरा माना जाता है।


6. तामसिक भोजन और वस्त्रों से परहेज करें

पूजा में लहसुन, प्याज और तामसिक भोजन का उपयोग न करें। साथ ही लाल या काले रंग के कपड़े पहनने से बचें। हल्के और सात्विक रंगों का चयन करें।

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नकारात्मक प्रभाव: अशुद्ध भोजन और वस्त्र से पूजा का महत्व घट जाता है।


7. माता-पिता और बुजुर्गों का अनादर न करें

भगवान गणेश को माता-पिता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त है। इसलिए इस दिन अपने माता-पिता और बुजुर्गों का सम्मान करना बेहद जरूरी है।

नकारात्मक प्रभाव: माता-पिता का अनादर करने से भगवान गणेश की कृपा नहीं मिलती।

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8. पूजा का सही समय न चूकें

सकट चौथ की पूजा का उचित समय सूर्यास्त के बाद होता है। सही समय पर पूजा करना अनिवार्य है।

नकारात्मक प्रभाव: समय पर पूजा न करने से व्रत का पूरा फल प्राप्त नहीं होता।


निष्कर्ष (Conclusion)

सकट चौथ का व्रत और पूजा सही विधि और नियमों का पालन करके ही फलदायक होती है। यह पर्व जीवन की समस्याओं का निवारण और सुख-शांति का प्रतीक है।
इन नियमों का पालन करके ही भगवान गणेश और माता संकटा की कृपा प्राप्त की जा सकती है। इसलिए इस पवित्र दिन पर कोई भी लापरवाही या चूक न करें। आपकी श्रद्धा और समर्पण ही आपकी मनोकामनाओं को पूर्ण करेंगे। 🌺

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अचार्य अभय शर्मा एक अनुभवी वेदांताचार्य और योगी हैं, जिन्होंने 25 वर्षों से अधिक समय तक भारतीय आध्यात्मिकता का गहन अध्ययन और अभ्यास किया है। वेद, उपनिषद, और भगवद्गीता के विद्वान होने के साथ-साथ, अचार्य जी ने योग और ध्यान के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार की राह दिखाने का कार्य किया है। उनके लेखन में भारतीय संस्कृति, योग, और वेदांत के सिद्धांतों की सरल व्याख्या मिलती है, जो साधारण लोगों को भी गहरे आध्यात्मिक अनुभव का मार्ग प्रदान करती है।

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