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    महाभारत का ये रहस्य आपको हैरान कर देगा!

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    indianmythology 6

    प्रस्तावना

    महाभारत केवल एक युद्ध की कथा नहीं, बल्कि इसमें अनेक रहस्य और गूढ़ ज्ञान छिपा हुआ है। यह महाकाव्य कई ऐसे घटनाओं और तथ्यों से भरा है जो आज भी लोगों को आश्चर्यचकित कर देते हैं। आइए, महाभारत के कुछ रहस्यमयी तथ्यों को जानते हैं।


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    1. महाभारत में लिखा गया था कलियुग का भविष्य

    • महाभारत के अंतिम खंड में भविष्यवाणी की गई थी कि कलियुग में अधर्म बढ़ेगा, मानव मूल्यों का पतन होगा और दुनिया स्वार्थी हो जाएगी।
    • यह भविष्यवाणी आज के समय में सत्य प्रतीत होती है।

    2. अश्वत्थामा का अमरत्व

    • महाभारत युद्ध के अंत में, भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को अमरत्व का श्राप दिया था।
    • कहा जाता है कि वे आज भी धरती पर भटक रहे हैं और कई लोगों ने उन्हें देखने का दावा किया है।

    3. द्रौपदी का जन्म रहस्य

    • द्रौपदी का जन्म किसी स्त्री के गर्भ से नहीं हुआ था। वह यज्ञकुंड से प्रकट हुई थीं, इसलिए उन्हें “अग्निसुता” भी कहा जाता है।

    4. कर्ण के कवच-कुंडल का रहस्य

    • कर्ण जन्म से ही स्वर्ण कवच-कुंडल पहने हुए थे, जिन्हें भगवान इंद्र ने उनसे दान में ले लिया।
    • यह कवच इतना शक्तिशाली था कि इससे कर्ण को कोई भी अस्त्र नहीं भेद सकता था।

    5. महाभारत के लेखक स्वयं भगवान गणेश थे

    • महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना की, लेकिन इसे लिखने का कार्य स्वयं भगवान गणेश ने किया था।
    • शर्त थी कि वेदव्यास बिना रुके कथा सुनाएँगे, और गणेश बिना रुके उसे लिखेंगे।

    6. जिंदा रह गए थे महाभारत के कुछ पात्र

    • यह माना जाता है कि महाभारत युद्ध के बाद भी कई पात्र जीवित रहे, जिनमें अश्वत्थामा, कृपाचार्य, और राजा बलि जैसे चिरंजीवी शामिल थे।
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    7. श्रीकृष्ण ने बताया था गांधारी को भविष्य का सच

    • युद्ध के बाद जब गांधारी ने श्रीकृष्ण को श्राप दिया कि उनका वंश नष्ट हो जाएगा, तो कृष्ण ने स्वीकार किया कि यह पहले से ही तय था।
    • कुछ वर्षों बाद यादव वंश का संहार हुआ और श्रीकृष्ण ने स्वयं वन में जाकर देह त्याग किया।

    निष्कर्ष

    महाभारत केवल एक युद्ध की कहानी नहीं, बल्कि इसमें अनेक रहस्य, आध्यात्मिक ज्ञान और गूढ़ तथ्य छिपे हुए हैं। यह ग्रंथ हमें न केवल धर्म और अधर्म का भेद सिखाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कर्म के फल से कोई बच नहीं सकता।

    अचार्य अभय शर्मा एक अनुभवी वेदांताचार्य और योगी हैं, जिन्होंने 25 वर्षों से अधिक समय तक भारतीय आध्यात्मिकता का गहन अध्ययन और अभ्यास किया है। वेद, उपनिषद, और भगवद्गीता के विद्वान होने के साथ-साथ, अचार्य जी ने योग और ध्यान के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार की राह दिखाने का कार्य किया है। उनके लेखन में भारतीय संस्कृति, योग, और वेदांत के सिद्धांतों की सरल व्याख्या मिलती है, जो साधारण लोगों को भी गहरे आध्यात्मिक अनुभव का मार्ग प्रदान करती है।

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