चातुर्मास Chaturmas में क्या कुछ होता है? नमस्कार दोस्तों, हिंदू धर्म में चातुर्मास Chaturmas को अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण समय माना जाता है।
- चातुर्मास Chaturmas का शाब्दिक अर्थ होता है “चार महीने”, और यह अवधि आध्यात्मिक साधना, संयम और पूजा-पाठ के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है।
- साल 2025 में चातुर्मास Chaturmas की शुरुआत 6 जुलाई से होगी और इसका समापन 1 नवंबर 2025 को देवउठनी एकादशी के दिन होगा।
चतुमार्स Chaturmas के दौरान क्या कुछ होता है
- चातुर्मास Chaturmas के दौरान भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं।
- इस समय ब्रह्मांड की संचालन शक्ति भगवान शिव अपने हाथों में ले लेते हैं।
- यही कारण है की इस अवधि में शिव जी की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।
- यह समय भक्तों के लिए तप, व्रत और सेवा का अवसर होता है।
- चातुर्मास Chaturmas में कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।
- इस समय मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि नहीं किए जाते।
- साथ ही, सात्विक भोजन, संयमित जीवनशैली और ध्यान-भजन को प्राथमिकता दी जाती है।
- यह समय आत्मचिंतन और साधना का होता है।
शिव जी की आराधना करनी चाहिए
इन चार महीनों में शिव जी की आराधना करने से जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है। सोमवार का व्रत, रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय मंत्र का जाप और शिव पुराण का पाठ विशेष पुण्य प्रदान करता है। वहीं तुलसी पूजा, व्रत, ब्रह्मचर्य का पालन और गरीबों को दान देना भी शुभ माना जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं और फिर से सृष्टि के कार्य में प्रवृत्त होते हैं। इसी दिन से विवाह और अन्य शुभ कार्यों की अनुमति मिलती है।
अगर आपने इन दिनों में पूरे परिवार के साथ मिलकर शिव चालीसा करते हैं तो आपको इसका फायदा जरूर मिल सकता है। वही क्या कुछ नहीं करना चाहिए इसके बारे में भी जान लेते हैं। इस दिन किसी भी व्यक्ति को नाराज नहीं करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन लड़ाई झगड़े से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। इस दिन आपको किसी नए कार्य की शुरुआत करने से बचना चाहिए। इन सभी बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
निष्कर्ष
चातुर्मास Chaturmas आत्मिक शुद्धि, संयम और भक्ति का प्रतीक है। इस दौरान किया गया हर एक पुण्यकर्म व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है। अतः इस वर्ष 6 जुलाई से शुरू हो रहे चातुर्मास Chaturmas में भगवान शिव और विष्णु की आराधना करके अपने जीवन को पवित्र बनाएं हर हर महादेव! जय श्रीहरि।
