Author name: abhaykrsingh06

Sixth chapter षष्ठ अध्याय
Ashtavakra Gita

Ashtavakra Gita | अष्टावक्र गीता – Sixth chapter | षष्ठ अध्याय

अष्टावक्र गीता(मूल संस्कृत) अष्टावक्र गीता (हिंदी भावानुवाद) Ashtavakra Gita (English) अष्टावक्र उवाच –आकाशवदनन्तोऽहंघटवत् प्राकृतं जगत्।इति ज्ञानं तथैतस्यन त्यागो न ग्रहो

Fifth Chapter पंचम अध्याय
Ashtavakra Gita

Ashtavakra Gita | अष्टावक्र गीता – Fifth Chapter | पंचम अध्याय

अष्टावक्र गीता(मूल संस्कृत) अष्टावक्र गीता (हिंदी भावानुवाद) Ashtavakra Gita (English) अष्टावक्र उवाच –न ते संगोऽस्ति केनापिकिं शुद्धस्त्यक्तुमिच्छसि।संघातविलयं कुर्वन्-नेवमेव लयं व्रज॥५-

Fourth Chapter | चतुर्थ अध्याय
Ashtavakra Gita

Ashtavakra Gita | अष्टावक्र गीता – Fourth Chapter | चतुर्थ अध्याय

अष्टावक्र गीता(मूल संस्कृत) अष्टावक्र गीता (हिंदी भावानुवाद) Ashtavakra Gita (English) अष्टावक्र उवाच – हन्तात्म ज्ञस्य धीरस्यखेलतो भोगलीलया।न हि संसारवाहीकै-र्मूढैः सह

Second Chapter | द्वितीय अध्याय
Ashtavakra Gita

Ashtavakra Gita | अष्टावक्र गीता – Second Chapter | द्वितीय अध्याय

अष्टावक्र गीता(मूल संस्कृत) अष्टावक्र गीता (हिंदी भावानुवाद) Ashtavakra Gita (English) जनक उवाच –अहो निरंजनः शान्तोबोधो ऽ हं प्रकृतेः परः ।एतावंतमहं

First Chapter प्रथम अध्याय
Ashtavakra Gita

Ashtavakra Gita | अष्टावक्र गीता – First Chapter | प्रथम अध्याय

अष्टावक्र गीता(मूल संस्कृत) अष्टावक्र गीता (हिंदी भावानुवाद) Ashtavakra Gita (English) जनक उवाच – कथं ज्ञानमवाप्नोति,कथं मुक्तिर्भविष्यति।वैराग्य च कथं प्राप्तमेतदब्रूहि मम

Scroll to Top