Author name: abhaykrsingh06

Twelfth Chapter द्वादश अध्याय
Ashtavakra Gita

Ashtavakra Gita | अष्टावक्र गीता – Tenth Chapter | दशम अध्याय

अष्टावक्र गीता(मूल संस्कृत) अष्टावक्र गीता (हिंदी भावानुवाद) Ashtavakra Gita (English) अष्टावक्र उवाच – विहाय वैरिणं कामम-र्थं चानर्थसंकुलं।धर्ममप्येतयोर्हेतुंसर्वत्रा ना दरं कुरु॥१०-

Ninth Chapter नवम अध्याय
Ashtavakra Gita

Ashtavakra Gita | अष्टावक्र गीता – Ninth Chapter | नवम अध्याय

अष्टावक्र गीता(मूल संस्कृत) अष्टावक्र गीता (हिंदी भावानुवाद) Ashtavakra Gita (English) अष्टावक्र उवाच –कृताकृते च द्वन्द्वानिकदा शान्तानि कस्य वा।एवं ज्ञात्वेह निर्वेदाद्

Eighth Chapter अष्टम अध्याय
Ashtavakra Gita

Ashtavakra Gita | अष्टावक्र गीता – Eighth Chapter | अष्टम अध्याय

अष्टावक्र गीता(मूल संस्कृत) अष्टावक्र गीता (हिंदी भावानुवाद) Ashtavakra Gita (English) अष्टावक्र उवाच –तदा बन्धो यदा चित्तंकिन्चिद् वांछति शोचति।किंचिन् मुंचति गृण्हातिकिंचिद्

Seventh Chapter सप्तम अध्याय
Ashtavakra Gita

Ashtavakra Gita | अष्टावक्र गीता – Seventh Chapter | सप्तम अध्याय

अष्टावक्र गीता(मूल संस्कृत) अष्टावक्र गीता (हिंदी भावानुवाद) Ashtavakra Gita (English) जनक उवाच – मय्यनंतमहांभोधौविश्वपोत इतस्ततः।भ्रमति स्वांतवातेन नममास्त्यसहिष्णुता॥७- १॥ राजा जनक

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