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    षट्तिला एकादशी पर इन चीजों से बचें

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    षट्तिला एकादशी व्रत के नियम: इन गलतियों से रहें सावधान

    षट्तिला एकादशी हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखने वाली तिथि है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। ग्रेहस्मत्य प्रता के अनुसारण के लिए, इस दिन व्रत, पूजा और दान का बहुत महत्व है। धार्मिक व्रतान्तरयों के अनुसारण की पालना करने और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण है, कुछ चीजों से परहेज करना। आइए विस्तार से जानते हैं कि षट्तिला एकादशी पर किन चीजों से बचना चाहिए और क्यों।


    1. तामसिक भोजन का सेवन न करें

    • इस पवित्र दिन पर तामसिक भोजन जैसे मांस, मछली, अंडे, प्याज और लहसुन का सेवन पूरी तरह से वर्जित है।
    • तामसिक आहार मन और शरीर में आलस्य और नकारात्मकता उत्पन्न करता है, जो व्रत की पवित्रता को भंग करता है।
    • भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रतधारी को शुद्ध और सात्त्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए।

    2. अन्न और चावल का सेवन न करें

    • षट्तिला एकादशी पर अन्न और चावल का सेवन निषिद्ध माना गया है। यह मान्यता है कि इस दिन अन्न का सेवन करने से व्रत का फल नष्ट हो जाता है।
    • चावल विशेष रूप से वर्जित हैं क्योंकि इन्हें चंद्रमा से संबंधित माना जाता है और एकादशी तिथि का संबंध चंद्रमा की गति से है।
    • फलाहार, कुट्टू का आटा, राजगिरा, साबूदाना और सिंघाड़े का आटा जैसे विकल्पों का उपयोग करें।

    3. तिल का अनुचित उपयोग न करें

    • षट्तिला एकादशी का नाम ही तिल से जुड़ा हुआ है। इस दिन तिल का उपयोग छह प्रकार से करना चाहिए — तिल का सेवन, तिल से स्नान, तिल का दान, तिल का हवन, तिल का उबटन और तिल से जल अर्पण।
    • लेकिन तिल का उपयोग व्यर्थ में न करें। इसे भगवान विष्णु की पूजा और दान के लिए उपयोग करें। तिल का दान गरीब और जरूरतमंदों को करना अत्यधिक पुण्यदायक होता है।
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    4. नकारात्मक विचारों से बचें

    • इस दिन नकारात्मकता, क्रोध, लोभ और ईर्ष्या जैसे भावनाओं से दूर रहें।
    • व्रतधारी को शांत और सकारात्मक मन से भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए। नकारात्मक विचार पूजा के प्रभाव को कम कर सकते हैं।

    5. अनुशासनहीनता न करें

    • व्रत के नियमों का पालन न करना और अनुशासनहीनता व्रत का फल समाप्त कर सकती है।
    • इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करें और पूरे दिन भगवान विष्णु की उपासना करें। व्रत के नियमों का पालन करते हुए संयमित जीवनशैली अपनाएं।

    6. दान में लापरवाही न करें

    • षट्तिला एकादशी पर दान का विशेष महत्व है। इस दिन तिल, वस्त्र, अन्न, और दक्षिणा का दान करना चाहिए। दान करते समय मन में किसी भी प्रकार का अहंकार या दिखावा न रखें।
    • जरूरतमंदों को तिल और अन्न का दान करने से व्रत का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।

    7. व्रत भंग करने से बचें

    • व्रतधारी को पूरा दिन व्रत का पालन करना चाहिए। व्रत को बीच में छोड़ना या भंग करना शुभ नहीं माना जाता।
    • अगर स्वास्थ्य कारणों से व्रत संभव न हो, तो भी तामसिक भोजन से बचते हुए भगवान विष्णु का ध्यान करें।

    8. ज्यादा सोने से बचें

    • इस दिन आलस्य से बचें और ज्यादा सोने से परहेज करें। दिनभर भगवान विष्णु की पूजा, भजन-कीर्तन और ध्यान में समय बिताएं।
    • ज्यादा सोना आध्यात्मिक ऊर्जा को कम करता है और व्रत की शुद्धता पर असर डालता है।

    9. झूठ बोलने और छल-कपट से बचें

    • व्रत के दौरान झूठ बोलना, धोखा देना या किसी भी प्रकार का छल-कपट करना अशुभ माना जाता है।
    • इस दिन सत्य और धर्म का पालन करें और दूसरों के प्रति दया और करुणा का भाव रखें।
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    निष्कर्ष

    षट्तिला एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और जीवन में शुभ फल प्राप्त करने का एक श्रेष्ठ साधन है। लेकिन इस दिन व्रत की पवित्रता बनाए रखने के लिए कुछ बातों से बचना अत्यंत आवश्यक है। तामसिक भोजन, अन्न का सेवन, नकारात्मक विचार और अनुशासनहीनता से दूर रहते हुए व्रत का पालन करें। साथ ही तिल का सही उपयोग करें और जरूरतमंदों को दान देकर व्रत को सार्थक बनाएं।

    षट्तिला एकादशी पर इन बातों का ध्यान रखते हुए व्रतधारी भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को पवित्र और धन्य बना सकते हैं।

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