शनि दोष निवारण के उपाय – लाल किताब के अनुसार शनि से जुड़े टोटके

लाल किताब के अनुसार शनि दोष के प्रभावी उपाय – शनिदेव को शांत करने के सिद्ध तरीके

लाल किताब के अनुसार शनि दोष से निपटने के प्रभावी उपाय

शनि ग्रह को न्याय का देवता और कर्मों के फल देने वाला ग्रह माना जाता है। शनि के प्रभाव का हर व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर होता है। अगर शनि आपकी कुंडली में अशुभ स्थिति में है, तो इससे जीवन में अड़चनों, आर्थिक समस्याओं, और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। शनि से जुड़े दोषों को दूर करने के लिए लाल किताब में कई खास उपाय बताए गए हैं जो शनिदेव की कृपा पाने में मदद कर सकते हैं। आइए, जानते हैं इन उपायों के बारे में विस्तार से।

शनि दोष और लाल किताब के उपाय

प्रथम भाव में शनि दोष
अगर शनि आपकी कुंडली के प्रथम भाव में है, तो इसका प्रभाव सीधा आपके व्यक्तित्व पर पड़ता है। लाल किताब में इसे शांत करने के लिए कुछ सरल उपाय सुझाए गए हैं:

  • प्रतिदिन अपने मस्तिष्क पर दूध या दही का तिलक लगाएं।
  • शनिवार के दिन बालों में तेल न लगाएं और न ही शरीर पर कोई सुगंधित पदार्थ लगाएं।
  • तांबे के बने 4 सर्पों को नदी में प्रवाहित करें, जिससे शनि दोष का प्रभाव कम हो सके।

द्वितीय भाव में शनि दोष
अगर शनि द्वितीय भाव में है, तो यह आपके वित्तीय और पारिवारिक जीवन को प्रभावित कर सकता है। इसके निवारण के लिए लाल किताब में ये उपाय सुझाए गए हैं:

  • शराब और मांसाहार का त्याग करें, क्योंकि ये शनि दोष को बढ़ाने वाले तत्व माने जाते हैं।
  • सांपों को दूध पिलाएं और शनिवार को कड़वे तेल का दान करें।
  • रात में दूध का सेवन न करें।
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तृतीय भाव में शनि दोष
तृतीय भाव में शनि होने पर आपकी संचार और मानसिक शांति पर इसका असर दिखता है। इस प्रभाव से बचने के लिए:

  • घर के सबसे भीतरी कक्ष में सूर्य का प्रकाश जरूर पहुंचाएं।
  • तिल, नींबू और केले का दान करें।
  • काला कुत्ता पालना भी शनि दोष से बचाव में मदद करता है।

चतुर्थ भाव में शनि दोष
चतुर्थ भाव में शनि होने पर पारिवारिक सुख-शांति और घर की समृद्धि प्रभावित हो सकती है। इसे ठीक करने के लिए लाल किताब के अनुसार:

  • हर रोज कुएं में दूध डालें।
  • बहते हुए पानी में शराब डालें, इससे घर में समृद्धि बढ़ेगी।
  • हरे रंग के वस्त्र पहनने से परहेज करें।

शनि दोष से निपटने के अन्य उपाय

लाल किताब में दिए गए उपायों के अलावा, शनिदेव को शांत करने के लिए और भी कई उपाय बताए गए हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं:

  • हनुमान चालीसा का पाठ: हर शनिवार को हनुमान जी की पूजा करें और उन्हें केले और चने का भोग लगाएं।
  • महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें, यह शनि दोष के निवारण में अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
  • शनिवार के दिन व्रत रखें और गरीबों को काले तिल और काले वस्त्र का दान करें।
  • शमी और बरगद के पौधे को अपने घर में लगाएं। शमी का पौधा विशेष रूप से शनिदेव से जुड़ा हुआ माना जाता है और इसे घर में लगाने से शनि दोष का प्रभाव कम होता है।

शनि दोष और खान-पान में बदलाव

लाल किताब के अनुसार शनि के दुष्प्रभाव से निपटने के लिए व्यक्ति के खान-पान पर भी ध्यान देना जरूरी है।

  • मदिरा और नशीली वस्तुओं का सेवन शनि दोष को बढ़ा सकता है, इसलिए इनसे परहेज करें।
  • चतुर्थ भाव में शनि होने पर रात के समय दूध का सेवन न करें, इससे शनि का प्रभाव बढ़ता है।
  • काले तिल और काले वस्त्र का दान करें, यह शनिदेव की कृपा पाने का एक प्रमुख उपाय माना जाता है।
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शनि दोष और दान के उपाय

शनिदेव की कृपा पाने के लिए लाल किताब में कई दान के उपाय बताए गए हैं।

  • हर शनिवार को काले तिल, सरसों के तेल, काले वस्त्र और लोहे का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • गरीबों को भोजन कराना और पक्षियों को दाना डालना भी शनि दोष को शांत करता है।

शनि दोष और तिलक लगाने के उपाय

शनि दोष को कम करने के लिए लाल किताब में विशेष तिलक के उपाय भी बताए गए हैं।

  • प्रतिदिन दूध या दही का तिलक मस्तक पर लगाएं।
  • बरगद के पेड़ की जड़ में दूध डालकर उसकी मिट्टी से तिलक करें।

निष्कर्ष

लाल किताब के अनुसार शनि दोष के प्रभावी उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों से निपट सकते हैं। शनिदेव की कृपा से जीवन में स्थिरता, सुख और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। अगर शनि दोष के कारण जीवन में बाधाएं आ रही हैं, तो ऊपर दिए गए सरल उपायों को अपनाकर शनि दोष से मुक्ति पाई जा सकती है।

ध्यान दें: उपायों को अपनाने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह अवश्य लें।

अचार्य अभय शर्मा

अचार्य अभय शर्मा एक अनुभवी वेदांताचार्य और योगी हैं, जिन्होंने 25 वर्षों से अधिक समय तक भारतीय आध्यात्मिकता का गहन अध्ययन और अभ्यास किया है। वेद, उपनिषद, और भगवद्गीता के विद्वान होने के साथ-साथ, अचार्य जी ने योग और ध्यान के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार की राह दिखाने का कार्य किया है। उनके लेखन में भारतीय संस्कृति, योग, और वेदांत के सिद्धांतों की सरल व्याख्या मिलती है, जो साधारण लोगों को भी गहरे आध्यात्मिक अनुभव का मार्ग प्रदान करती है।

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