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    षटतिला एकादशी: इन मंत्रों से पाएं 3 गुना अधिक पुण्य!

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    षटतिला एकादशी पर इन मंत्रों का जाप करें और पाएं अनंत पुण्य

    षटतिला एकादशी का दिन भगवान विष्णु की उपासना और व्रत के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन तिल का विशेष महत्व होता है, और तिल का छह प्रकार से उपयोग (दान, स्नान, हवन, उबटन, भोजन और पूजा) किया जाता है। इस पवित्र तिथि पर यदि व्रत के साथ-साथ मंत्रों का जाप किया जाए, तो व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है। मंत्रों के माध्यम से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करना अधिक सरल और प्रभावी माना गया है।

    षटतिला एकादशी का महत्व और मंत्र जाप की भूमिका

    षटतिला एकादशी पर मंत्र जाप का विशेष महत्व है क्योंकि यह न केवल मन को शांत करता है बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करता है। शास्त्रों के अनुसार, मंत्रों का जाप करने से आत्मा और चित्त की शुद्धि होती है और पुण्य का संचय होता है। यह दिन भक्तों के लिए भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने का उत्तम अवसर है। इस दिन किए गए मंत्र जाप का फल तीन गुना अधिक होता है क्योंकि एकादशी तिथि को स्वयं भगवान विष्णु का आशीर्वाद होता है।

    षटतिला एकादशी पर जाप करने वाले मुख्य मंत्र

    इस दिन भगवान विष्णु के निम्नलिखित मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं:

    1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

    यह मंत्र भगवान विष्णु का मूल मंत्र है। इस मंत्र का जाप करने से भगवान विष्णु की कृपा तुरंत प्राप्त होती है और समस्त बाधाओं का नाश होता है।

    2. ॐ विष्णवे नमः

    यह मंत्र सरल और प्रभावशाली है। इसका जाप करने से भगवान विष्णु के प्रति भक्ति और समर्पण का भाव जागृत होता है।

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    3. ॐ लक्ष्मीपतये नमः

    इस मंत्र का जाप करने से धन, समृद्धि और सुख-शांति का वरदान मिलता है। यह मंत्र गृहस्थ जीवन में समृद्धि लाने में सहायक है।

    4. ॐ अच्युताय नमः, ॐ अनंताय नमः, ॐ गोविंदाय नमः

    इन तीन नामों का जाप एक साथ करने से जीवन में स्थिरता, अनंत सुख और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।

    5. ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मी नारायणाय नमः

    यह मंत्र भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावी है। इसका जाप करने से आर्थिक कष्ट दूर होते हैं।

    मंत्र जाप की विधि

    1. स्नान और शुद्धता: प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
    2. ध्यान और आसन: भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के समक्ष आसन लगाएं।
    3. दीप प्रज्वलन: दीप जलाकर भगवान विष्णु की पूजा करें।
    4. तुलसी और तिल: तुलसी पत्र और तिल अर्पित करें।
    5. मंत्र जाप: शांत मन से इन मंत्रों का जाप करें। जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करना शुभ माना जाता है।
    6. संकल्प: जाप आरंभ करने से पहले भगवान विष्णु के प्रति अपने संकल्प को व्यक्त करें।
    7. जप की संख्या: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार (एक माला) करें। अधिक फल प्राप्त करने के लिए तीन या पांच माला जाप करें।

    मंत्र जाप के लाभ

    1. आध्यात्मिक शुद्धि: मंत्र जाप से मन और आत्मा की शुद्धि होती है।
    2. पापों का नाश: षटतिला एकादशी पर मंत्र जाप करने से पिछले जन्मों के पापों का नाश होता है।
    3. भौतिक सुख: यह जाप भौतिक और आध्यात्मिक सुख दोनों प्रदान करता है।
    4. शांति और संतोष: जाप से मानसिक शांति मिलती है और जीवन में संतोष का अनुभव होता है।
    5. ईश्वर की कृपा: भगवान विष्णु की कृपा से जीवन की समस्त बाधाएं दूर होती हैं।
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    निष्कर्ष

    षटतिला एकादशी पर व्रत और पूजा के साथ मंत्र जाप का विशेष महत्व है। यह दिन भक्ति, दान और आत्मा की शुद्धि का प्रतीक है। यदि इस एकादशी पर पूर्ण श्रद्धा और विधि-विधान से भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप किया जाए, तो व्रत का फल तीन गुना अधिक प्राप्त होता है। यह जाप जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने और ईश्वर के आशीर्वाद से समस्त कष्टों को दूर करने का सबसे सरल और प्रभावशाली उपाय है।

    अतः षटतिला एकादशी पर इन मंत्रों का जाप अवश्य करें और भगवान विष्णु की कृपा से अपने जीवन को मंगलमय बनाएं।

    अचार्य अभय शर्मा एक अनुभवी वेदांताचार्य और योगी हैं, जिन्होंने 25 वर्षों से अधिक समय तक भारतीय आध्यात्मिकता का गहन अध्ययन और अभ्यास किया है। वेद, उपनिषद, और भगवद्गीता के विद्वान होने के साथ-साथ, अचार्य जी ने योग और ध्यान के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार की राह दिखाने का कार्य किया है। उनके लेखन में भारतीय संस्कृति, योग, और वेदांत के सिद्धांतों की सरल व्याख्या मिलती है, जो साधारण लोगों को भी गहरे आध्यात्मिक अनुभव का मार्ग प्रदान करती है।