अगर आपकी कुंडली में शनि है कमजोर या चल रही है साढ़े साती, तो यह एक तेल बदल सकता है आपकी किस्मत।

शनि ग्रह की शांति और वात दोष संतुलन के लिए पैरों पर तिल के तेल की मालिश करते हुए।
शनि ग्रह की शांति और वात दोष संतुलन के लिए पैरों पर तिल के तेल की मालिश करते हुए।

अक्सर जीवन में ऐसा समय आता है जब कड़ी मेहनत के बाद भी परिणाम नहीं मिलता, कर्ज बढ़ता जाता है और हर काम में बाधाएं आती हैं। ज्योतिष शास्त्र में इसका बड़ा कारण शनि ग्रह (Saturn) का कमजोर होना या अशुभ प्रभाव माना जाता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी रसोई में मौजूद तिल का तेल (Sesame Oil) शनिदेव को शांत करने का सबसे शक्तिशाली और आसान उपाय है?

ज्योतिष के अनुसार, तिल का तेल सिर्फ शरीर का दर्द ही नहीं, बल्कि जीवन के दर्दों को भी दूर करने की क्षमता रखता है। यह शनि के नकारात्मक प्रभावों को कम कर जीवन में अनुशासन, स्थिरता और शांति लाता है।

आइए जानते हैं इसके अद्भुत ज्योतिषीय लाभ और इस्तेमाल का सही तरीका।

ग्रहों पर तिल के तेल का चमत्कारी असर

  1. शनि (Saturn) की मजबूती: तिल का तेल शनि का मुख्य कारक माना जाता है। इसका नियमित प्रयोग शनि की साढ़े साती, ढैय्या या कमजोर शनि के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं और कर्ज से मुक्ति दिलाता है।
  2. मंगल और चंद्रमा को संतुलित करना:
    • मंगल (Mars): ऊर्जा और साहस बढ़ाने के लिए इसकी हल्की मालिश शुभ होती है (लेकिन मंगलवार को बचें)।
    • चंद्रमा (Moon): यदि मन अशांत रहता है, तो सिर या नाभि पर तिल का तेल लगाने से भावनात्मक स्थिरता और मानसिक शांति मिलती है।
  3. आयुर्वेदिक लाभ: यह तेल वात दोष को संतुलित करता है, रक्त संचार बढ़ाता है और जोड़ों के दर्द व तनाव में राहत देता है।

किन लोगों के लिए यह उपाय वरदान है? (Who Needs This?)

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह उपाय उन कुंडलियों के लिए सबसे ज्यादा लाभदायक है जहाँ:

  • शनि कमजोर या अशुभ हो: यदि आपकी कुंडली में शनि 6, 8, या 12वें भाव (दुष्ट स्थान) में हो।
  • शनि पीड़ित हो: शनि नीच राशि में हो, शत्रु राशि में हो, या पापी ग्रहों के साथ केंद्र/कोण में बैठा हो।
  • दोष निवारण: जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष, कालसर्प योग हो, या राहु/केतु 12वें भाव में पीड़ित हों, उनके लिए यह तेल मालिश नकारात्मकता और अवसाद को कम करती है।
  • (उदाहरण के लिए: यदि आपका जन्म कन्या लग्न (Virgo Ascendant) में हुआ है, तो शनि की दशा/अंतरदशा में यह उपाय आपके लिए विशेष रूप से शुभ फलदायी होगा)

इस्तेमाल का सर्वोत्तम समय और विधि (The Right Way)

गलत दिन या गलत तरीके से किया गया उपाय नुकसान भी कर सकता है, इसलिए इन नियमों का पालन करें:

  • सर्वोत्तम दिन: शनिवार (Saturday) का दिन सबसे शुभ है।
  • सही समय: शनिवार सुबह स्नान करने से 15-30 मिनट पहले
  • विधि: तेल को हल्का गुनगुना कर लें। इसे पूरे शरीर पर, या विशेषकर पैरों के तलवों और घुटनों पर हल्के हाथों से मालिश करें।
  • परहेज करें (Avoid These Days): रविवार, गुरुवार और शुक्रवार को तिल के तेल की मालिश से बचें, क्योंकि ज्योतिष के अनुसार यह ताप या धन हानि बढ़ा सकता है।

चमत्कारिक लाभ के लिए: मान्यता है कि यदि आप इस उपाय को लगातार 21 से 40 दिनों तक नियम से करते हैं, तो दीर्घकालिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

(सावधानी: यह उपाय पारंपरिक ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित है। यदि आपकी त्वचा संवेदनशील है, तो पहले ‘पैच टेस्ट’ करें। कुंडली की सटीक स्थिति जानने के लिए ज्योतिषी से सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है।)

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